Dear Shahrukh Khan ji

Discussion in 'India' started by Anmol R Singh, Dec 23, 2015.

  1. Anmol R Singh

    Anmol R Singh New Member

    शाहरुख़ खान
    एक भारतीय का प्रणाम,उमीद करता हुँ प्रणाम शब्द का मतलब तो समझते होंगे आप.
    हमारे समाज में ( भारत देश) में परिवारो के संस्कार और परवरिश का बहुत ध्यान रखा जाता है,और कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि कुछ सालो पहले हमारे देश में "घुसे" लोगो ने कहीं न कहीं इस पर गहरी चोट की है.( हाँ बिलकुल सही सोच रहे है आप,में किस के बारे में बोल रहा हुँ )

    मेने कई सुलझे लोगो ( हमारे बड़े बुजर्ग) से सुना था कि परिवार के संस्कार और परवरिश, इंसान चाह कर भी छुपा नहीं सकता,और इंन्ही सुलझे लोगो से मैने सुना था कि कामियाबी,दौलत ,लोगो का प्यार,ये सब उसे हासिल होता है जिसके परिवार और संस्कार में कहीं न कहीं वो मजबूती हो जो उसे इन् सब के पास होने पर भी खुद में किसी तरह का घमंट या अभिमान न आने दे ( आप बिलकुल सही सोच रहे है ,ये गुण किस अभिनेता में है और आप कभी उनके जैसा नहीं बन सकते)

    आपको देख कर में थोड़ी सी दुविधा में हुँ,चलिए थोड़ा सा बता दु,कृपया "सहन" कर लीजियेगा,

    सुलझे लोगो कि पहेली बात से मैं बिलकुल सहमत हुँ (परिवार के संस्कार और परवरिश इंसान चाह कर भी छुपा नहीं सकता) आपको मुंबई के स्टेडियम में एक secruity गार्ड से किसी राह चलते टपोरी से भी निम्न स्तर जा कर गाली गलोच करते देख में समझ गया की परिवार के संस्कार और परवरिश इंसान चाह कर भी छुपा नहीं सकता.इतना बड़ा अभिनेता और एक छोटे से आदमी से गाली गलोच की नौबत आ गयी ? समझ नहीं आ रहा था की आपका स्तर निचे गया या उसका स्तर उप्पर हो गया? चलिए पेड़ उगने के लिए जो बीज बोया गया होगा पेड़ वही उगेगा,जो आप के पास है उसे कोई बदल नहीं सकता पर याद रहे आपके बच्चे आपके साथ यही व्यव्हार करेंगे जो वो आपको करते देख रहे है.आशा करते है आप कम से कम उन्हें तो अच्छे संस्कार देंगे ही.

    अब आइए दूसरी बात पर ( कामियाबी,दौलत ,लोगो का प्यार,ये सब उसे हासिल होता है जिसके परिवार और संस्कार में कहीं न कहीं वो मजबूती हो जो उसे इन् सब के पास होने पर भी खुद में किसी तरह का घमंट या अभिमान न आने दे) और मुझे हैरानी है सुलझे लोग इतना गलत कैसे हो सकते है ? अगर ये सच है तो आपके पास ये सब क्यों है ?? मेरा परिवार मेरे समाज का हिस्सा है ,मेरा समाज मेरे देश का हिस्सा है और में खुद इन् सबका हिस्सा हूँ,सीधे शब्दों में मैं यानि मेरा देश और मेरा देश यानि मैं खुद. और देश को गाली देना यानि खुद को गाली देना.लेकिन आप अभी भी खुद को भारतीय नहीं मानते,वर्ना देश का अपमान करने के जगह उसे कैसे ठीक करे उस बारे मैं अपनी राय रखते.

    ये भी एक सत्य है की आपकी बहुत सी फिल्मो मैं आपका अभिनय बिलकुल निम्न और हलके प्रकार का रहा है तो क्या हम भारतीयों ने आपकी फिल्मे देखना छोड़ दिया ??? आपको सहन किया ना ? और आपको अचानक से लगने लगा देश मैं असहनशीलता बढ़ गयी है और आपने सोचा सारे अवार्ड वापस कर दु.??? अब तक इंतज़ार में है हम सब,कब वापस करेंगे अवार्ड आप ??

    एक न्यूज़ चैनल ( आधुनक काल की नौटंकी और जैसा हमने सोचा था ५ -१० फालतू लोगो को कैमरा पर आपकी फालतू झूटी तारीफ करते दिखा कर आपकी फिल्म को हिट बताना शुरू कर चुके थे,) पर आपका एक छोटा सा इंटरव्यू देखा जहाँ आपने माफ़ी मांगने की एक्टिंग की, माफ़ करना सर जी आपकी एक्टिंग मैं अभी भी कोई सुधार नहीं है. माफ़ी मांगने वाली एक्टिंग तो हम "सहन" कर गए लेकिन अकड़ कर भिक मांगते किसी भिकारी को पहेली बार देख कर दंग रह गए हम सब.

    "BATHROOM भक्त" जैसे शब्दों का प्रयोग करके आपने फिर से ये साबित कर दिया कि परिवार के संस्कार और परवरिश इंसान चाह कर भी छुपा नहीं सकता.फिल्म बना कर आपने इस देश पर कोई एहसान नहीं किया है बल्कि आप जैसे निम् स्तर यक्तित्वा को इतना प्यार और सम्मान दे कर हम लोगो ने आप पर एहसान किया है.पिक्चर अभी बाकि है मेरे दोस्त .......

    आपके लिए "देश भक्ति" और "बाथरूम भक्ति" मैं कोई अंतर नहीं है शायद,लेकिन हमारे लिए है और रहेगा और आप जैसे लोग कामयाब क्यों है आखिर?? चलिए थोड़ा बता दु

    बहुत सालो पहले जब हमारे समृद्ध देश मैं कुछ जंगली लोगो ने आकर्मण किया और यहाँ अपना शासन स्तापित किया तो वो उनकी काबिलियत नहीं थी,वो तो हमारे यहाँ कुछ नमक हराम लोगो ने उनका साथ दिया और धोके से उन लगो ने हम पर शाशन किया,

    वो नमक हराम आज भी है और तभी आप जैसे लोग आज वहां है जहाँ आप जैसे लोगो को होना नहीं चाइये था. आपके बाथरूम वाले बयां पर जो लोग उस कमरे में बैठ कर हस रहे थे वो नमक हराम ,चापलूस, आत्मा रहित भोगी जानवर है, और ये लोग उन्ही नमक हराम लोगो के वंशज है.

    मैं अपनी बात आखरी दो लाइन से सम्पात करूँगा...
    १) जो देश का ना हूआ वो कभी भी अपने समाज का या अपने परिवार का नहीं होगा और ना ही समाज या उसका परिवार उसका होगा.
    २) माफ़ी मंगाते हुए ये बोल रहा हुँ आज मेरा "कुत्तो" के प्रति सम्मान और बढ़ गया है काश आप उन् से सिख पाते "नमक का ऋण" कैसे अदा किया जाता है.

    लिखी हुयी किसी भी बात से दुःख हूआ हो तो माफ़ी मांगता हुँ,

    सेवा मैं
    एक भारतीय
    प्रणाम
     
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